रिपोर्ट- आयुष शुक्ला, मेघा झा झाँसी, संवाद बुंदेलखंड की टीम ने पंचायती चुनाव हलचल की नब्ज टटोलने की शुरुआत कर दी है, जिला झांसी के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर गांव की मौजूदा स्थिति एवं हालातों के बारे में जानकारी लेने एवं ग्राम वासियों की समस्याओं का जन संचार करने की मुहिम में चिरगांव ब्लॉक के करगुआं गांव पहुंची, जो कि झांसी जिले का सबसे बड़ा गांव माना जाता है, जिसे कभी भाजपा नेत्री उमा भारती ने इस गांव को गोद लिया था, ग्रामीणों से बात करने पर करगुआं गांव की कई समस्याएं सामने आई जिसमें गांव में ताश खेलने की समस्या मुख्य रही। ग्रामीणों के अनुसार गांव में ताश काफी ज्यादा और बड़े पैमाने पर खेला जाता है, जीत हार की बाजी लगने की वजह से गांव के युवाओं का भविष्य अंधकार में है और बर्बाद हो रहा है, ग्रामवासी चंद्रकांत समेले के अनुसार एक समय करगुआं गांव से सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी और पढ़े लिखे युवा गांव का नाम रोशन करते थे, लेकिन आज के समय सब विपरीत हो चुका है। ग्राम वासियों के अनुसार गांव में साफ सफाई ना होना भी एक बड़ी समस्या है , सफाई कर्मचारी गांव में साफ सफाई नहीं करते हैं ना ही गांव वालों की समस्याओं पर सुनवाई होती है। गांव वाले खुद ही अपने घर के सामने की सड़कें और नालियां साफ करते हैं, जिससे गंदगी और बीमारी ना पनपे जिन घरों में ताले लगे हैं उनके सामने कचरे का ढेर लगा हुआ है। उम्मीद जाग रही दोबारा ग्राम वासियों की उम्मीद भी आगामी पंचायती चुनाव से जुड़ी है एवं उन्हें लगता है के आने वाले समय में सरकारी मुलाजिमों के साथ-साथ सरकार भी उनके गांव की तरफ ध्यान देगी और उनकी समस्याओं का समाधान करेगी। अफसोस इस बात का है कि यह गांव झांसी जिले का सबसे बड़ा गांव है जिसे कभी उमा भारती ने गोद लिया था, फिर भी यहां का सूरते हाल बदल नहीं पाया,