पहले पाँच लाभार्थियों ऐसे लगा कोरोना टीका और ऐसा हुआ एक्शन

samwadbundelkhand.com | Updated : 16/01/21 05:04 AM

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Jhansi

झांसी, कोरोना वैक्सीन का एक लंबा इंतजार शनिवार को खत्म हो गया। सभी के लिए कोविड की शुरुआत से लेकर लॉकडाउन का समय सब एक अलग ही अनुभव था। जब वैक्सीन आई तो इसे सबसे पहले लगवाने वालों का अनुभव भी अनोखा रहा। जनपद के 5 स्थानों पर आज टीकाकरण की शुरुआत हुई। इन्ही पाँच स्थानों पर आए सबसे पहले लाभार्थियों ने साझा किया अपना अनुभव। सेंगर ने मेडिकल कॉलेज में मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ॰ नरेंद्र सेंगर ने मेडिकल कॉलेज में शुरू हुये टीकाकरण में पहला टीका लगवाया। अपना अनुभव साझा करते हुये डॉ॰ सेंगर ने बताया कि मुझे किसी प्रकार की कोई दिक्कत नही हुयी। इंजेक्शन के दर्द भी ऐसा था कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब इंजेक्शन लग गया। जिला अस्पताल के डॉक्टर और कोविड वैक्सीन लगवाने वाले पहले लाभार्थी डॉ॰ आनंद द्विवेदी ने अपना अनुभव साझा करते हुये बताया कि उनको एसएमएस के द्वारा जानकारी मिली थी कि उनका टीकाकरण जिला अस्पताल में होगा। वैक्सीन लगने से पहले और बाद में भी उन्हे कोई समस्या नहीं हुई। डीडबल्यूएच में कार्यरत जिला महिला अस्पताल में संचालित शिविर में डीडबल्यूएच में कार्यरत कुक अर्चना परिहार को पहला टीका लगाया गया। अर्चना ने बताया कि यह एक आम प्रक्रिया जैसी ही लगी, उन्हें किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हुई। सावधानियों के तौर पर उन्हें बताया गया कि यदि किसी प्रकार की समस्या होती है तो वह अस्पताल में सूचना दे। साथ ही उन्हे बताया गया कि कोविड अभी ख़त्म नहीं हुआ है अतः मास्क और सामाजिक दूरी का पालन जरूर करे, बंगरा आरबीएसके टीम की फिजियोथेरिपिस्ट आकांक्षा वैद्य जब शिविर में टीकाकरण कराने आई, तो उन्हे पता चला कि उनका पहला नंबर है। आकांक्षा बताती है कि शुरू में मन में थोड़ी घबराहट तो हुई, लेकिन टीका लगने के बाद सारा डर निकल गया। वह बताती है कि परिवार के सदस्य टीका लगवाने के लिए मना कर रहे थे। लेकिन पति के सहयोग ने उन्हे हिम्मत दी। वह बताती है यह पहली बार का है तो सभी के मन में डर है। लेकिन शुरुआत कभी न कभी तो होनी ही थी। और वह खुश है कि इसकी शुरुआत का पहला हिस्सा वह बनी। बीमारियों से ग्रसित मोठ सामुदायिक केंद्र पर कार्यरत एलएचवी आशा शर्मा पहले से भी कई बीमारियों से ग्रसित है, हालांकि कोविड के समय वह कभी कोविड पॉज़िटिव नहीं हुई। अपना अनुभव साझा करते हुये आशा जी बताती है कि वह कभी किसी चीज की टेंशन नहीं लेती है। वह बताती है कि मैंने आराम से टीका लगवाया 30 मिनट ले लिए मुझे निगरानी में रखा गया। अब अगली डोज़ के लिए 15 फरवरी को फिर से आएंगी।



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