विद्युत विभाग का निजीकरण मतलब देश की आम जनता के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़।

samwadbundelkhand.com | Updated : 01/10/20 09:01 AM

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Jhansi

केंद्रीय नेतृत्व ने निजीकरण के विरोध में जारी आंदोलन को वीरांगना की धरती झाँसी पर नई धार दी। आज दिनांक 01-10-2020 अपरान्ह 02 बजे से 05 तक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि॰ के विघटन व निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में आज 32 वें दिन माताटीला हाईडिल कॉलोनी स्तिथ कार्यालय मुख्य अभियंता (वि॰) झाँसी के प्रांगण में विरोध सभा आयोजित की गयी। जिसमें झाँसी जनपद के विद्युत विभाग के समस्त अधिकारियों, अवर अभियंता एवं कर्मचारियों द्वारा सहभाग किया गया। आज विरोध सभा में झाँसी में चल रहे आंदोलन की समीक्षा करने व आंदोलन को नयी धार व ऊर्जा प्रदान करने हेतु केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के केंद्रीय अध्यक्ष इ॰ वी॰पी॰सिंह, राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनीयर्स संगठन उत्तर प्रदेश के केंद्रीय महासचिव इ॰ जय प्रकाश, बिजली कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री कामरेड श्री महेंद्र राय, रा॰वि॰प॰जू॰इ॰स॰उ॰प्र॰ के प्रांतीय अध्यक्ष (पा॰का॰लि॰) इ॰ देवेंद्र सिंह, रा॰वि॰प॰जू॰इ॰स॰उ॰प्र॰ के दक्षिणांचल शाखा के अध्यक्ष इ॰राजवीर सिंह, रा॰वि॰प॰अ॰सं॰ दक्षिणांचल शाखा सचिव इ॰अंकित त्रिपाठी आदि क्रांतिकारी नेता उपस्तिथ रहे। सभा को सम्बोधित करते हुए बिजली कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री कामरेड श्री महेंद्र राय ने कहा कि आज जो झाँसी सरकार ने झूठ बोलने पर आमादा है, सरकार ने दावा किया नौकरी देने का लेकिन बेरोज़गारी बढ गयी है। सरकार ने जो दावे किए जब वो पूरे नहीं हुए तो उस पर सरकार के ज़िम्मेदार लोग कहते है कि वह जुमला था। निजीकरण की बात कही जाए तो मतलब साफ़ है जिस प्रकार ईस्ट इंडिया कम्पनी आयी थी ओर देश 200 साल ग़ुलाम रहा लेकिन अब तो निजीकरण (निवेश) के रूप में कम्पनीयां देश को खरीदने को आमादा है ओर सरकार बेचने को। सरकार इस समय शहरी क्षेत्र को पूर्णतः निजीकरण करने को तैयार है। सरकार की नीतियाँ बहुत दौमुही हैं क्यूँकि एक तरफ़ बहुत सारी योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए का निवेश करने के बाद आपने बिजली व्यवस्था को दुरुस्त किया है वहीं दूसरी ओर थाली में परोस कर निजी कम्पनियों को देना चाहते हैं, ये कैसी नीति है हमको समझ नहीं आती है। सरकार बात तो आँकड़ों की करती है लेकिन कार्य एक दम आँकड़ों से परे करती है इस बात को कहने में कोई गुरेज़ नहीं है कि सरकार की कथनी ओर करनी में बहुत फ़र्क़ है। सभा को सम्बोधित करते हुए राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनीयर्स संगठन उत्तर प्रदेश के केंद्रीय महासचिव इ॰ जय प्रकाश ने कहा कि आज लड़ाई पूर्वांचल के निजीकरण को बचाने की है लेकिन इसके पीछे सबसे बड़ी लड़ाई लोकतंत्र को बचाने की है। निश्चिय ही यह लड़ाई किसानों की, आम जनमानस की, लोकतंत्र को बचाने की, अपने अधिकारों की लड़ाई है। सरदार भगत सिंह की जयंती पर जिस प्रकार पूरे प्रदेश में विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के क्रांतिकारी साथियों के द्वारा मशाल जुलूस निकाला गया निश्चित ही एक नयी क्रांति को पैदा करने वाला था। अगर निजीकरण के तहत इलेक्ट्रिसिटी अमेण्डमेंट बिल 2020 में प्रस्तावित क्रॉस सब्सिडी खत्म होती है तो बिजली की दरें किसानों व आम जनमानस के लिए महंगाई के रूप में जानलेवा होगी। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले आज कार्यक्रम 32 वें दिन भी जारी है आज तक सरकार व ऊर्जा के शीर्ष प्रबंधन द्वारा ना तो समिति से कोई भी सकारात्मक चर्चा की है और ना ही आज तक कोई सकारात्मक कर्मचारीहितकारी व जनहितकारी निर्णय लिया गया है। निश्चित रूप से इस समय धरातल से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक, ज़िले से लेकर प्रदेश तक, प्रदेश से लेकर पूरे देश में निजीकरण के विरोध में लोगों में आक्रोश व्याप्त है। वह दिन दूर नहीं अगर सरकार व ऊर्जा प्रबंधन नहीं माना तो हमारा यह ध्यानाकर्षण विरोध सभा पूर्ण हड़ताल में तब्दील हो जाए। निजीकरण जहां एक ओर सरकारी कर्मचारियों पर आर्थिक संकट उत्पन्न होगा वहीं दूसरी ओर सरकारी विभागों में अपना भविष्य तलाश रहे युवाओं के लिए बेरोज़गारी का संकट उत्पन्न होगा। विरोध सभा को सम्बोधित करते हुए रा॰वि॰प॰अभियंता संघ इ॰ वी॰पी॰ सिंह ने कहा कि अब समय बिलकुल भी भटकने का नहीं है, सभी को संगठित होने का समय है क्यूँकि कभी भी हड़ताल पर जाया जा सकते है। यह जो सरकार है यह इतनी आसानी से बात मानने वाली सरकार नहीं है, संघर्ष बहुत भीषण होने वाला है। सरकार की मंशा पूर्वांचल डिसकॉम को तीन टुकड़ों में बाटने की है, उसके उपरांत तुरंत सरकार निजीकरण करने को तैयार रहेगी। इस करो ओर मरो की लड़ाई में, अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई को कोई भी प्रश्नचिन्ह नहीं होना चाहिए। पूर्व में 5 महानगरों को बेचने की सरकार की मंशा को हम पहले भी धूल चटा चुके हैं। उस आंदोलन के दौरान विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति व ऊर्जा प्रबंधन के बीच में हुए लिखित समझोते में यह साफ़ लिखा था आगे कोई भी निजीकरण नहीं किया जाएगा उसके उपरांत भी भी आज यह दिन देखने मिल रहा है जो कि सरकार की मंशा का साफ़ ज़ाहिर करता है। विरोध सभा में मुख्य अभियंता वितरण झाँसी क्षेत्र इ॰ एम॰के॰ पाठक, अधीक्षण अभियंता इ॰ अजय कपूर, इ॰ एस॰आर॰गर्ग, इ॰ जे॰पी॰एन॰सिंह, अधिशासी अभियंता इ॰ रविंद्र बाबू, इ॰ शैलेंद्र कटियार, इ॰ राजवीर सिंह, इ॰ अनुभव कुमार, इ॰ डी॰यादवेंदु, इ॰ ए॰के॰माथुर, सहायक अभियंता इ॰ चंद्रेश तोमर, इ॰ शोभित दीक्षित, इ॰ शैलेंद्र सिंह, इ॰ चारु यादव, इ॰ सुनील, इ॰ धर्मेंद्र, इ॰ धर्मवीर, इ॰ कन्हैया लाल, इ॰ सीमा वर्मा, इ॰ दिनेश मौर्य, इ॰ सौरभ निगम, इ॰ योगेश त्रिपाठी, इ॰ आलोक प्रकाश, इ॰ गौरव शर्मा, श्री अनिल सागर, अवर अभियंता इ॰ सुनील कुमार, इ॰ जगजीत सिंह, इ॰ रोहित, इ॰ एम॰एम॰सिद्दीक़ी इ॰ अखिलेश, इ॰ सुमन, इ॰ वर्षा, इ॰ मनीष, इ॰ अमित, इ॰ पुष्पेंद्र, इ॰ दीपा, इ॰ राम नरेश, इ॰ माहेश्वरी, इ॰ पूजा, इ॰ नेहा, इ॰ शालिनी, इ॰ रामकुमार, इ॰ उमेश एवं कर्मचारिगण कार्यालय सहायक श्री सुमन्त चतुर्वेदी, श्री निशित श्रीवास्तव, श्री अजीत, श्री कुलदीप, श्री रणजीत, श्री रवि निरंजन, श्री रवि तिवारी, श्री जितेन्द्र कुमार, श्री वरुण चतुर्वेदी, श्री कृष्णा गोपाल, श्री शिखर, श्री उमेश, श्री शमीम, श्री रामअवतार, श्री प्रमोद, श्री आशीष, श्री सतीश कुमार, श्री कालका, श्रीमति नीलम, श्रीमति ज्योति, श्रीमति हेमलता, श्रीमति नंदिनी, कु॰ फौजिया, श्री दिलीप, श्री बलदेव, श्री नवाब, श्री निहाल, श्री सूरज, श्री धर्मेंद्र, श्री दिलीप, श्री प्रह्लाद, श्री सुरेंद्र साहू, श्री ज्ञान प्रसाद, श्री अनिल पाल, श्री अभय, श्री अभिषेक ओझा, श्री अविनाश सेंगर, श्री अरविंद साहू, श्री साहिद अली आदि समस्त कार्मिक उपस्तिथ रहे। सभा की अध्यक्षता मुख्य अभियंता वितरण इ॰ एम॰के॰पाठक ने की व संचालन क्षेत्रीय अध्यक्ष, रा॰वि॰प॰जू॰इ॰स॰उ॰प्र॰ झाँसी क्षेत्र इ॰ संजीव प्रभाकर ने किया। (सुनील कुमार)सह-संयोजक झाँसी



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