न शौचालय, न आवास और न ही राशन ! जीवनयापन मुश्किल!

samwadbundelkhand.com | Updated : 18/02/21 07:02 AM

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Jhansi

रिपोर्ट- आयुष शुक्ला, मेघा झा 9654606505 झांसी। जिला झांसी में मऊरानीपुर विधानसभा और ब्लॉक चिरगांव के अंतर्गत आने वाले ग्राम धवारा में जब सम्वाद बुन्देलखण्ड की टीम पहुंची तो ग्रामवासियों ने अपनी समस्याओं को बड़े सीधे तरीके से सामने रखते हुए बताया कि इस गाँव मे न तो कोई सरकारी सुविधा मिल रही है, न ही कोई सुनवाई हो रही है। शौचालय के नाम पर गड्ढे ग्राम धवारा में निवासी प्रियंका ने बताया कि उन्हें आज के दौर में भी शौच क्रिया के लिए खेतों की राह ताकनी पड़ती है क्योंकि उन्हें सरकारी योजना से शौचालय के नाम पर सिर्फ गड्डा मिला है। ग्रामवासी ममता के अनुसार सरकारी कर्मचारी उनके घरों के आसपास शौचालय बनाने आये तो थे लेकिन सिर्फ गड्ढे और पाइप लगाकर चलते बने। जब उनसे पूछा कि किस कारण से काम पूरा नहीं कर रहे हैं? तो जवाब था कि गड्डा सही नही खुद पाया या पाइप छोटा पड गया और बस उस के बाद से आज तक वो शौचालय सिर्फ गड्डा बन के ही रह गया है। नाम कट जाने की समस्या घनाराम जो कि धवारा के निवासी है बताते है कि सरकारी योजना से जो आवास आवंटित किए जाने थे उसमे उनका नाम था लेकिन फिर उन्हें आवास आवंटित नही हुआ और बता दिया गया कि उनका नाम कटवा दिया गया है। मीना और मातादीन ने भी यही समस्या बताई कि उनके नाम पर आवास आये थे जो इंटरनेट पर भी दिखा रहे थे, फिर उन्हें पता चला कि उनका नाम कट गया है। जिसका कारण उन्हें स्पष्ट नहीं किया गया। पालतू पशुओं को कहां ले जाये ग्रामवासी रामशंकर का कहना है कि गाँव मे ज़्यादातर लोगों के पास पालतू पशु जैसे गाय, भैंसे,बकरी आदि हैं। लेकिन उन्हें बांधने के लिए न तो गाँव मे किसी बाड़े की व्यवस्था है न ही इस बारे में कोई सुनवाई होती है। उनका कहना है कि हमें थोड़ी जगह मिल जाये, जिससे हम अपने पालतू पशुओं को रात के समय बांध दिया करे गर्मी और बारिश में उनको किसी छांव में रख सकें। जिससे उन्हें सर्दी और अन्य समस्याओं का सामना न करना पड़े । उन पशुओं से ही ग्रामीणों का जीवनयापन में सहायता मिलती है। न ही पेंशन योजना न ही बच्चों को राशन वृद्ध रामदास और वृद्धा रामप्यारी भी इसी गाँव के निवासी हैं जिन्हें न तो पेंशन योजना का लाभ आज तक मिला है, न ही अन्य किसी सरकारी योजना के तहत कोई लाभ। ग्रामवासी दीपचंद्र ने बताया कि कुछ समय पहले तक उनका, उनकी पत्नी और दोनों बच्चों का नाम राशनकार्ड पर था लेकिन कोरोना काल में उस कार्ड से उनका और उनकी बच्ची का नाम काट दिया गया। इसके अलावा उनको शौचालय बनवाने के लिए मिलने वाली धनराशि का सिर्फ आधा भाग ही मिला बाकि आधा नहीं। उम्मीद इतनी सारी समस्याओं के साथ अपना जीवनयापन कर रहे ।ग्रामवासियों की उम्मीदें बहुत नहीं बस उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ चाहिए। उनके पशुओं के लिए एक बाड़ा चाहिए। धवारा वासियों के दुखों को देखने के लिए जिसकी आंखें खुली हो, उनकी समस्या सुनने और समाधान करने के लिए जिसके कान और दिमाग सचेत हो ऐसे व्यक्ति का चुनाव आगामी दिनों में हो, बस यही उम्मीद है।



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